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अटरिया माता के दरबार में चुन्नी बाधने की है प्राचीन प्रथा!

(G-वार्ता) रुद्रपुर में लगने वाला सबसे पौराणिक व ऐतिहासिक मेला अटरिया देवी अब अपने यौवन पर आता नजर आ रहा है।आज भी हजारों श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किये महंत माता पुष्पा देवी ने बताया कि मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए सुबह भोर के समय 4:00 बजे छोड़ दिए जाते हैं और जिन्हें पूरे दिन खुले रहने के बाद रात्रि में 10:00 बजे बंद किया जाता है इस समय के पूरे रुद्रपुर सहित आसपास के क्षेत्र के लोग माता के दर्शन करने और पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिर में आते हैं और मन्नते मांग कर जाते हैं बहुत से लोग अपने बच्चों के मुंडन जिन्होंने मन्नत मांगी होती है वह यहां के मुंडन संस्कार स्थल पर जाकर करवाते हैं वही बात करें मुराद पूरी होने की तो माता के दरबार में चुन्नी बांधने की प्रथा बहुत ही प्राचीन प्रथा है । जिस प्रथा के कारण ना जाने कितने जोड़ें परिणय सूत्र में बंधे ,चुन्नी को बांधे जाने पर यह मानता है कि जिन लोगों के विवाह में देरी होती है वह माता के मंदिर में मत्था टेक कर मन्नत मांग कर चुन्नी बांध देते हैं तो माता उनकी मनोकामना को पूर्ण कर उनके विवाह में आ रहे बंधन को काटकर उनको परिणय सूत्र में बांधती है यहां से मन्नत मांग कर हजारों लोगों ने अपने परिवार बसाये है जो आज खुश हाल जीवन ब्यतीत कर रहे है।
Aman Singh

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